Why Hindus Accepts Kamala Harris As Their Own Kind?
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सवाल ये है कि हिन्दू क्यों कमला हरिस को अपना मानते हैं ? कमला हरिस अमेरिका की उप -राष्ट्रपति बन गयी है जिसका जन्म कॅरीबीयन आइलैंड देश जमैका में हुआ था। पर मुझे हैरान ये हुई कि इंडियन मीडिया में इस औरत को भारतीय मूल घोषित कर दिया। सोशल मीडिया में उस औरत को हिन्दू , मुस्लिम या सिख काफी सपोर्ट करते दिखे गए और जश्न मनाने लगे। पर क्यों ? इस औरत का भारत से कोई लेना देना नहीं है फिर भी इसे इंडियन मीडिया और हिन्दू ,मुस्लिम और सिख समुदाय के लोग अपना समझने लग गए। वो इसलिए कि इसकी माँ तमिल नाडु की एक ऊँची जाति में जन्मी ब्राह्मण परिवार से तालुक रखती थी। पर इन हिन्दुओं को बुरा नहीं लगा कि उसकी माँ ने एक ब्लैक अफ्रीकन ओरिजिन आदमी से शादी करके कमला को जन्म दी, जैसे नीना गुप्ता ने ब्लैक अफ्रीकन नीग्रो विवियन रिचर्ड्स से शादी कर उससे बच्चे पैदा की। पर इंडिया में ये ऊँची जाति के लोग जो लड़कियाँ और महिलाएँ कभी भी lower castes लड़कों और पुरुषों के साथ शादी नहीं करती हैं। अगर lower castes का लड़का पढ़ लिख कर नौकरी भी करता हो , उसका अपना छोटा मोटा उद्योग भी हो , ऊँची जाति के लोग (ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य ) कभी अपने बेटी या बहन का रिश्ता लोअर कास्ट से नहीं बनाते हैं। दक्षिण भारत में ही कई दलित लड़कों और पुरुषों का हत्या कर दी गयी जब वे ऊँची जाति के लड़कियों को अपने घर में लाते। हिंदी क्षेत्र में ये आम बात है जहाँ पिछड़ी जाति के लोगों की हत्या पब्लिक के बीच में कर दी है।
खासकर आदिवासी लड़कों को तो पहले ही ऊँची जाति की लड़कियाँ ठुकरा देती है। आदिवासी लड़कियों से इन्ही के लोग शादी कर लेते हैं अपना घर में लाते हैं जो दिखने में सुन्दर होती हैं पर आदिवासी लड़कों से कभी भी ऊँची जाति की लड़कियाँ शादी नहीं करती हैं। क्योंकि आदिवासी उनकी नज़र में नीच होते हैं , उनको lowest of the low समझा जाता है। यानी नीग्रो नस्ल से भी नीच समझा जाता है। जिसके पास पैसा हो , बड़े बड़े घरों में रहता हो, अपना उद्योग भी हो तो ये ऊँची जाति की लड़कियाँ शादी नहीं करती हैं। पर अफ्रीकन मर्दों से शादी कर बच्चे जरूर पैदा जरुर करती है। मैं इस कारण से उनसे इर्षा या जलन नहीं कर रहा हूँ। बात है हमारी rights यानि हक़ की। जब हमारे लोगों के साथ अत्याचार होता है तो मीडिया में हमारी आवाज़ गूँजती नहीं है , सोशल मीडिया पर भी हमारा समर्थन करने वाला कोई नहीं होता। जब हम अपनी हक़ की लड़ाई लड़ते हैं, अपने पूर्वजों के ज़मीन के लिए कोर्ट में लड़ते हैं तो हमें ऊँची जाति के लोगों से धमकी मिलती है , कइयों की हत्या भी कर देते हैं। पर उस समय कोई भी मीडिया में हमारे बारे में नहीं दिखाया जाता है चाहे इंडियन मीडिया हो या अंतर्राष्ट्रीय मीडिया हो। इंडियन मीडिया को ये ऊँची जाति के लोग ही चलाते हैं तो हमारे लोगों के बारे में , हमारी क्या समस्या है , ये सब नहीं दिखाया जाता है लेकिन हमें आतंकवादी , नक्सली, देशद्रोही के रूप में जरूर दिखाते हैं। हमारे आदिवासी भाइयों की आवाज़ को दबा देते हैं। पर जब ब्लैक अफ्रीकन लोगों की बात हो तो सोशल मीडिया और प्रिंट और न्यूज़ चैनल में ट्रेंड करते रहता है। और जो असली आतंकवादी संघठन है - BLM, Antifa का समर्थन करते हैं चाहे हो आरएसएस मीडिया हो या रविश कुमार का ndtv चैनल हो। काफी दोगले होते हैं ये मीडिया के लोग भी।
मैं यही कहना चाहता हूँ कि भारत के जो मूलनिवासी हैं , वो अफ्रीकन नहीं हैं, न हिन्दू है । पर आदिवासी भारत के मूलनिवासी हैं। और ये ऊँची जाति के लोगों का बात , व्यवहार , सोच -विचार , चाहे महिला हो या पुरुष अफ्रीकन नीग्रो की तरह मिलती है , इसलिए तो ये लोग blm ग्रुप का समर्थन करते हैं , अफ्रीकन लोगों के साथ शादियाँ करते और उनको भी इंडिया में बसा देते हैं। जैसे कमला हरिस की माँ, नीना गुप्ता जैसे लोगों को देख लें और ना जाने कितने हैं।
ऊपर के तस्वीर में एक हिन्दू ,primitive अफ्रीकन ट्राइब्स को respect देता है जो सेंटिनल द्वीप में रहते हैं। ये कह रहा है कि वे समय की उत्त्पति से वे pure हैं उनको बर्बाद मत करो। मैं पूछना चाहता हूं क्यों भाई अपने सेंटीनेलेसे को वापस अफ्रीका क्यों नहीं भेज देते। इन्ही के ही लोगों को इंडिया के अंदर बसा रही है भारत सरकार। क्या हम आदिवासी उनके अफ्रीका में जाकर बस्ते हैं ? नहीं बस्ते ना ! लेकिन तुम्हारे लोग बस्ते हैं और वहीं के लोगों से शादियाँ भी करते हैं , और जो बच्चे पैदा होते उनको इंडिया में रहने का जगह दे देते हो , नौकरी और बैंक अकाउंट खोलने का मौका मिलता है , फ्री में शिक्षा और मेडिकल की सुविधा भी मिल जाती है। यानि कि इंडिया में अधिकतर लोग विदेशी नस्ल के है जो भर गए हैं और हमारी ज़मीन, प्रॉपर्टी, हक छीन लेते हैं। इन हिन्दुओं को अफ्रीकन लोगों की काफी परवाह रहती है। काफी उनको अहमियत दी जाती है, भारतीय मीडिया और समाज में जैसे ये लोग नेपालियों को देते हैं, सरकारी नौकरी, अस्पताल में इलाज की सुविधा, पढ़ाई की सुविधा इत्यादि । ऊपर दिए गए चित्र के कॉमेंट पढ़कर पता लग सकता है। ऐसे बहुत से हिन्दू लोगों के कॉमेंट अपने ब्लॉग पर शेयर कर सकता हूं जहां वे लोग अफ्रीकन लोगों की काफी परवाह करते हैं, उनके समर्थन करते हैं इत्यादि। लेकिन जब हम आदिवासियों की बात रहती है तो ये ignore करते हैं और हम ही से ईर्ष्या जलन रखते हैं। मुझे कोई नाराजगी नहीं है। पर हमारी संस्कृति और भाषा मिट है। Conversion का झूठा आरोप लगा कर हमारे ही आदिवासी भाइयों की हत्या कर दी गई, उनके बेटियों और पत्नियों के साथ कट्टर हिन्दुओं ने बलात्कार कर हत्या की, पर मीडिया में कोई हमारी खबरें वायरल नहीं हुआ, ना ही सोशल मीडिया में वायरल हुई।
सच बात तो ये है कि कोई भी पॉलिटिकल पार्टी हमें पूछती तक नहीं। असम जैसे राज्य में हमारे ही आदिवासी भाईयों और बहनों का नरसंहार किया गया बोडो समुदाय के लोगों ने जो मंगोलियन नस्ल के हैं । और ये कई सालों से चली आ रही है। तो कोई पॉलिटिकल पार्टी हमारे समर्थन में नहीं आती हैं। हमारे लोग अपने ही पूर्वजों की भूमि पर अजनबी बन गए हैं। एक तो हमारी पूर्वजों की ज़मीन बढ़े बढ़े उद्योगपति , नेता, ऊंची जाति के लोग छीन लेते हैं ऊपर से समाज में जाति के नाम पर मतभेद का सामना करना पड़ता है। कोई उम्मीद की किरण दिखाई नहीं देती है। झारखंड राज्य बना आदिवासियों के लिए फिर भी झारखंड में ही आदिवासियों की ज़मीन छीनी जा रही है। बाहर राज्यों से आकर लोग बस रहे हैं, और जब आदिवासी दूसरे राज्यों में जाकर काम करते हैं तो उनका नरसंहार किया जाता है, भेद भाव का सामना किया जाता है।
दक्षिण भारत से लोग झारखंड और उड़ीसा में जाकर काम करे तो ठीक, पर आदिवासी दक्षिण भारत में किसी प्राइवेट या मजदूरी का काम करे तो उनको (दक्षिण भारतीयों) को बहुत बुरा लगता है, नफ़रत करते हैं। उनके लोग आदिवासी क्षेत्र में आकर बसे तो अच्छा है पर जब आदिवासी उनके क्षेत्र में बसे तो कोई अनुमति नहीं है, ज़मीन तक नहीं खरीद सकते।
पिछले महीने मार्च 2021 में, दो तीन दक्षिण भारतीयों को YouTube पर हमारे आदिवासी भाईयों की बहुत बुराई करने लगा कि वे तमिल नाडु, केरल जैसे राज्यों में काम करने के लिए आते हैं। जब मैंने उनको जवाब दिया कि तुमारे दक्षिण भारत से ज्यादा तर लोग नौकरी के लिए झारखंड और उड़ीसा में आते हैं और आकर बस रहे हैं और ज़मीन भी खरीद रहे हैं। तो दूसरे व्यक्ति ने अंग्रेज़ी में मुझे रिप्लाई दिया कि उनके लोग झारखंड में बस रहे हैं ज़मीन खरीदकर तो legal तरीके से बस रहे हैं और तुम्हारे लोगों को भी फायदा हो रहा है। मैंने उससे सवाल किया कि क्या फायदा हो रहा है? क्या हम दक्षिण भारत में ज़मीन खरीदकर बस सकते हैं? क्या हमारे लोगों को वहां सरकारी नौकरी मिल सकती है जैसे तुम्हारे लोगों को झारखंड जैसे राज्य में सरकारी नौकरी मिल जाती है आसानी से? मैंने फिर उसे tag करके जवाब दिया " जाके sentinel island और andaman island में ज़मीन खरीदकर अपने लोगों को बसाओ और आलीशान होटल, महल अपने लोगों के लिए बनाओ इधर क्यों आते हो? तुम्हारे लोग हमारी नौकरी छीन ले तो ठीक है तुम्हारी नज़रों में और अगर आदिवासी मजदूरी के लिए दक्षिण भारत में काम करे, construction का काम करे तो तुम्हे बहुत बुरा लगता है और नफ़रत करते हो!!! फिर उन लोगों ने मुझे tag करके रिप्लाई नहीं दी ।
तो ऐसे होते हैं ये मूर्तिपूजक चाहे वो नॉर्थ इंडियन कहलाता हो या साउथ इंडियन कहलाता हो या फिर किसी भी क्षेत्र के हो ! कमला हैरिस जैसे लोगों को अपना समझ बैठते हैं और खुशियां मनाने लगते हैं जब कमला जैसे लोग उपराष्ट्रपति बन जाते हैं।
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