दुनिया को मानना चाहिए कि ब्लैक और ब्राउन भी racist होते हैं
Tina Das जिसने print में ये लेख लिखी है बॉलीवुड के गीत और अफ्रीकी अमेरीकी सिंगर Beyonce के बारे में। गीत के lyrics को ये ऊंची जाति के लोगों ने racist कहा क्योंंकि ये offensive है Beyonce के लिए और सोशल मीडिया ट्विटर और यूट्यूब पर माफी मांगी उन अफ्रीकी सिंगर और उनके लोगों से।
टीना दास जो कि एक बंगाली महिला है, उसे शायद ये नहीं पता कि उन्ही के समाज में कितना भेद भाव होता है। पहले बंगाल नहीं था, सिर्फ एक भूमि थी, जहां आदिवासियों का निवास स्थान था उनके पुरखों की ज़मीन थीं। उनकी ज़मीन टीना दास के जात वालों ने लूट ली। कई हिंसक हमलों में मारे गए आदिवासी और अभी भी उनका शोषण होता है। जी हां! बंगाल जो क्षेत्र बना है, बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल, आसाम और कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों में आदिवासी संथाल का निवास स्थान था। बहुत बड़ा area था जहां संथाल आदिवासी वहां के मूलनिवासी थे जिसे संथाल पर्गाना कहा जाता था। उनकी ज़मीन अग्रेजों के आने से पहले ही लूट ली गई। टीना दास के जात के लोगों ने संथालों की ज़मीन लूट ली और वे dominant हो गए उस क्षेत्र में। अभी भी पश्चिम बंगाल में संथाल आदिवासी रहते हैं जहां उनकी ज़मीन है पर उनकी स्थिति दयनीय है बंगालियों के मुताबिक।
टीना दास अपने आर्टिकल में इंडियन शब्द का प्रयोग की है। जब ये लोग इंडियन शब्द का प्रयोग करते हैं तो इंडियन यानि जो जेनरल, ओबीसी और एससी में आते हैं और ये सभी जाती के लोग इंडो यूरोपियन भाषाएं बोलते हैं जैसे बंगाली, भोजपुरी, मारवाड़ी, ओड़िया, गुजराती इत्यादि और दक्षिण में द्रविड़ भाषाएं बोलते हैं जो तमिल, तेलुगु, मलयाली इत्यादि भाषाएं बोलते हैं। तो ये लोग क्षेत्र के हिसाब से अपने को बांटते हैं, अपने को identify करते हैं और भाषा के आधार पर अपने को बांटते हैं।
इंडियन कास्ट सिस्टम के मुताबिक आदिवासी समाज सबसे पिछड़े वर्ग में गिने जाते हैं। अंग्रेज़ी में ये हिन्दू यानि ऊंची जाति के लोग उन्हें " Lowest of the Low" कहते हैं। अभी भी उनके खिलाफ भेद भाव होता है, उनकी ज़मीन ऊंची जाति के लोग छीन लेते हैं चाहे वो ब्राह्मण हो, या क्षत्रिया, या वेश्य या ओबीसी और एससी हो। लेकिन टीना दास जैसे ऊंची जाति के लोग आदिवासियों की आवाज़ को दबा देते हैं जब भी वे अपनी हक के लिए लड़ाई लड़ते हैं, अपनी ज़मीन के लिए लड़ाई लड़ते हैं। टीना दास के जाति के लोग जब कोर्ट में judge, magistrate के पद में रहेंगे, उन्हीं के लोग सरकारी नौकरी में रहेगें तो आदिवासी को न्याय कैसे मिलेगी? आदिवासियों के साथ जो अन्याय होता रहता है काफी मीडिया में highlight नहीं हो पाती हैं।
While 'Kudiye no there, brown rang ne, Munde part the ni saare mere town de' might be how Honey Singh wanted to honour the natural skin tone of Indian women,...
तो टीना दास के मुताबिक इंडियन यानि भारतीय महिलाओं का रंग ब्राउन यानि भूरा है और कहती है कि यह भारतीय महिलाओं की नेचुरल स्किन टोन है। यानि कि टीना का कहना है कि इंडो यूरोपियन और द्रविड़ महिलाओं का रंग ब्राउन है जो नेचुरल है। अगर ऐसा है तो टीना दास के जात की महिलाओं को आदिवासी पुरुषों के साथ भी विवाह करनी चाहिए क्योंकि आदिवासी भी ब्राउन है, आदिवासी पुरुष भी ब्राउन है पर ऐसा नहीं होता है। तथ्य कुछ और ही है। अगर कोई आदिवासी पुरुष भी इन ब्राउन इंडो यूरोपियन महिलाओं से शादी करना भी चाहे तो वे इनकार कर देगी, क्योंंकि आदिवासियों को पिछड़ी, निचली और lower caste कहा जाता है। वे भले Beyonce के नस्ल के पुरुषों से शादी कर लेगी और प्रियंका चोपड़ा के पति के नस्ल के लोगों से शादी कर लेगी पर किसी नीच जाती जो आदिवासी कहलाते हैं कभी नहीं करेगी। लेकिन आदिवासी पुरुष या लड़के इनसे शादी का प्रस्ताव भी नहीं रखते, और वे उनके जैसे (ऊंची जाति के लोगों की तरह और अफ्रीकी की तरह) मीडिया में, समाचार चैनलों के माध्यम से, प्रिंट मीडिया के माध्यम से चिंखते चिल्लाते नहीं हैं। उनकी तरह behave नहीं करते हैं। काफी frustrated होकर बड़े बड़े न्यूज मीडिया में उनको (अफ्रीकी और हिन्दुओं) ज्यादा अहमियत दी जाती है, highlight किया जाता है पर आदिवासियों को नहीं, क्योंंकि आदिवासियों का बात व्यवहार, चाल ढाल और नेचर इनसे मिलती नहीं है। ये ब्राउन और ब्लैक लोग काफी aggressive nature के होते हैं। वे भले दूसरे नस्लों की बुराईयां करते हैं, नस्लभेद टिप्पणियां करते हैं सोशल मीडिया पर media और दुनिया के हिसाब वे Racist नहीं हैं और अगर उनके बारे में कोई करे तो वे Racist कहलाते हैं। और कॉमेंट डिलीट हो जाती है, पोस्ट, आर्टिकल डिलीट हो जाती है, उनके सोशल मीडिया एकाउंट सस्पेंड हो जाती है। बोलने की स्वतंत्रता सिर्फ इनके पास ही हैं- ब्लैक (अफ्रीकन) और ब्राउन (इंडियन)l आदिवासियों के पास नहीं हैं।
ये एक आर्टिकल छपी थी
Washington Post पर बताया जा रहा है Beyonce के पिता के बारे में। Beyonce के पिता खुद अपने नस्ल के लोगों से नफ़रत करता था। वह हमेशा से श्वेत महिलाओं को डेट करता था। उसने Beyonce की मां को डेट किया क्योंंकि उसे लगता था कि वह एक श्वेत महिला है। और आर्टिकल में अफ्रीकी मर्दों के गुप्त sexuality के बारे में जानने को मिलता है कि वे अपने नस्ल की महिलाओं से नफ़रत करते हैं। क्या प्रिंट की टीना दास को ये नहीं पता? अपने लेख में Beyonce के पिता को भी घसीटना चाहिए था कि कैसे उसका पिता light skin लड़कियों के साथ यौन संबंध बनाता था, कैसे उसके पिता का sexual attraction सिर्फ और सिर्फ light skin महिलाओं के तरफ था। सिर्फ वह ही अकेला नहीं है ,उसके नस्ल के सभी पुरुष वैसे ही हैं वाशिंगटन पोस्ट के मुताबिक।
Stop worshipping and bow before African Blacks and #BlackLivesMatter group miss Tina Das. I, myself, belong to Adivasi community and we have faced worst kind of racial discrimination and physical abuse/violence from your people (Indo-European and Dravidian mixed breed) , and still we are facing racial discrimination but you haven't raised such voices. I don't give a damn about multi-millionaire and billionaire rich celebrities from India and Africa who live like a king and queen, who became rich through their obscene music videos, and beyonce and her people don't create great music for the world. They are rich because they always use their color black and that's the truth and only gullible people like you and your follow such race baiter. According to you , your people are Brown people who identify themselves as Hindus or Upper castes, yes am including both OBC and SC castes as well because both these groups speak Indo-European languages and Dravidian languages and they are Idol worshipers too but my people aren't Indo-European and Dravidian and Africans. My people have nothing to do with you and your people. We are considered as Lowest of the Low in India.
तुम और तुम्हारे लोग काफी धूर्त किस्म के होते हैं जैसे अफ्रीकी लोग होते हैं। अफ्रीकी और तुम हिन्दुओं (मूर्तिपूजक) में समानताएं भी एक ही जैसी होती है। अग्रेजी भाषा अच्छी तरीके से बोलते है और अपने आप को सबसे अच्छा बेहतर समझते हैं। और मैं उन दक्षिण में रहने वाले लोगों को भी शामिल कर रहा हूं। अफ्रीकी लोग दूसरे देशों में बसते हैं, अवैध तरीके से भी बसते हैं वैसे ही ये हिन्दू इंडो यूरोपियन और Dravidian भी विदेशों में बसते हैं। वहां के मूल निवासियों का जीना हराम कर देते हैं, नौकरी तो छिनते ही हो । यहाँ भारत में भी तुम और तुम्हारे जाति के लोग हमारी नौकरियां छिनते है और हमें आगे बढ़ने नहीं देते हो । क्या यह सच नहीं हैं? वैसे अफ्रीकी लोग भी होते हैं। विदेशों में बस कर लोगों का जीना हराम करते हैं, क्राइम rate बढ़ने लगती है। अगर कोई उनकी community को दोष देता है कि क्यों वे ऐसा होते हैं तो वे लोगों को accuse करते हैं कि वे नस्लभेद टिप्पणियां करते हैं उनको racist बोल कर पुकारते हैं और आवाज़ को दबा देते हैं। तुम लोगों की सोच विचार, और समझ बिल्कुल अफ्रीकी जैसे है। अफ्रीका भी third world continent है और साउथ एशिया भी third world में आती है।
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