आज संचार माध्यमों के दिन-प्रतिदिन होते नए आविष्कार ने संसार की दूरी को एक सेकंड और एक मिनट की दूरी में समेट दिया है। भौगोलिक सीमाओं में आबद्ध व्यक्ति सूचना प्रौद्योगिकी और संचार प्रौद्योगिकी में नित नए अविष्कार और अनुसंधान के चलते संचार की सुगम व्यवस्था की ओर बढ़ता जा रहा है। अब तो यह आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी अपने आधुनिक व्यवस्था के आलिंगन में समूचे विश्व को समेटती जा रही है।
प्रगति के पथ पर मानव बहुत दूर चला आया है। जीवन के हर क्षेत्र में कई ऐसे मुकाम प्राप्त कर लिए हैं जो हमें जीवन की सभी सुविधाएं, सभी आराम प्रदान कराने में सक्षम हैं। आज संसार माव की मुट्ठी में समाया हुआ है। जीवन के सभी क्षेत्रों में सबसे अधिक क्रांतिकारी कदम सूचना और नई सुविधाएं प्राप्त कर ली गयी हैं जो हमें आधुनिकता के दौर में काफी ऊपर ले जाकर खड़ा करती हैं। ऐसे ही सूचना साधनों में आज एक बड़ा ही सहज नाम है इंटरनेट। वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विकास के परिप्रेक्ष्य में विश्व का प्रत्येक प्राणी दूर-दराज के क्षेत्र में स्थित अपने सगे-सम्बन्धियों, व्यापार-सम्बन्धी व्यक्तियों से पारिवारिक, व्यावसायिक एवं बौद्धिक सम्पर्क स्थापित कर रहा है। कंप्यूटर के माध्यम से इंटरनेट का आश्रय लेकर समस्त मानव जाति एक सूत्र में बंधन के लिए अग्रसर है। मानव जीवन की सभी गतिविधियां-राजनीतिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक आदि इंटरनेट और दूसरी इलेक्ट्रॉनिक सुविधाओं से लाभान्वित हो रही हैं।
मोंट्रियल के पीटर ड्यूस ने पहली बार 1989 में मैक-गिल यूनिवर्सिटी में इंटरनेट इंडेक्स बनाने का प्रयत्न किया। इसके साथ ही थिंकिंग मशीन कॉर्पोरेशन के बिडस्टर क्रहले ने एक-दूसरा इंडेक्सिंग सिस्टम वाइड एरिया इन्फॉर्मेशन सर्वर विकसित किया। उसी दौरान यूरोपियन लेबोरेटरी फ़ॉर पार्टिकल फिजिक्स के बेर्निसे ली ने इंटरनेट पर सूचना के वितरण के लिए एक नए तकनीक विकसित की जिसे वर्ल्ड-वाइड वेब के नाम से जाना जाता है। यह काम हाइपर-लिंक के माध्यम से होता है। हाइपर-लिंक विशेष रूप से प्रोग्राम किये गए शब्दों, बटन अथवा ग्राफ़िक्स को कहते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक अनुसंधान में इलेक्ट्रॉनिक डाक-उपकरण एक अनूठी खोज है। यह दो तरह का होता है- इंटरनेट ई-डाक (ई-मेल) व गैर इंटरनेट डाक। इनके संचालन के लिए डाक कार्यक्रम का उपयोग किया जाता है। तेज़ी से व कम खर्च में डाक भेजने का साधन है- वर्तमान ई-डाक (ई-मेल) प्रणाली। इसके बाद महत्वपूर्ण हैं डाक सूचियाँ, सूची सेवाएं और बुलेटिन बिल बोर्ड। डाक सूचियां एक ही श्रोत वाली सूचनाएं आसानी से और कम खर्च में सुलभ करती है। सूची सेवाएं एक स्वचालित सर्वर कार्यक्रम से संचालित होती हैं। ये सुविधाएं विशेष रुचि वाली होती हैं।
इंटरनेट का जन्म अमेरिका में शीत-युद्ध के दौरान हुआ था। इसकी शुरुआत सन् 1969 में एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसीज द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के चार विश्वविद्यालयों के कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग करके की गई थी। इसका विकास मुख्य रूप से शिक्षा शोध एवं सरकारी संस्थाओं की सुविधा के लिए किया गया था। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य था संचार माध्यमों को वैसी आपात स्थिति में भी बनाये रखना जब सारे माध्यम निष्फल हो जाये। सन् 1971 तक इस कंपनी ने लगभग दो दर्जन कम्प्यूटरों को नेट से जोड़ दिया था। सन् 1972 में शुरुआत हुई ई-मेल अर्थात इलेक्ट्रॉनिक मेल की जिसने सूचना संचार जगत में क्रांति ला दिया।
इंटरनेट प्रणाली में प्रोटोकॉल एवं एक टी.पी. प्रोटोकॉल (फ़ाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल) की सहायता से इंटरनेट यूजर (प्रयोगकर्ता) किसी भी कंप्यूटर से जुड़कर प्रोटोकॉल के लिए डिजाइन किया गया। सन् 1983 में यह इंटरनेट पर एवं कंप्यूटर के बीच संचार माध्यम बन गया। इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य अंकीय क्रांति की प्रमुख देन है जिससे बाजार से सम्बन्धित प्रायः तीन पहलू होते हैं- उत्पादों का विपणन, खरीद-बिक्री का लेखा-जोखा और उत्पाद या सेवा की प्रस्तुति। इंटरनेट से जुड़कर प्रयोक्ता व्यावसायिकता के तीनों पहलुओं का आंकिक सम्पर्क प्राप्त करता है। इंटरनेट की व्यापकता के कारण इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य का बाजार किसी भी भौगोलिक सीमा से मुक्त होकर परिवर्तित होता है। इलेक्ट्रॉनिक वाणिज्य मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं- बी टूबी. सी टू सी और सी टू बी। इसके अंतर्गत व्यावसायिक और उपभोक्ता बाजार से सम्बंधित सारी प्रक्रियाएं कंप्यूटर पर पूरी होती हैं।
धीरे-धीरे इंटरनेट के क्षेत्र में कई विकास हुये। सन् 1994 में नेटस्केप कम्युनिकेशनल और 1995 में माइक्रोसॉफ्ट के ब्राउज़र बाजार में उपलब्ध ही गये। जिससे इंटरनेट का प्रयोग काफी आसान हो गया। सन् 1996 तक इंटरनेट की लोकप्रियता काफी बढ़ गई। इनमे सर्वाधिक संख्या अमेरिका (3 करोड़) की थी, यूरोप से 90 लाख और 60 लाख एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में थे।
ई-कॉम की अवधारणा काफी तेजी से फैलती गयी। संचार माध्यम के नए-नए रास्ते खुलते गए। नई-नई शब्दावलियाँ जैसे ई-मेल , वेबसाइट (डॉट-कॉम) ,वायरस, आदि इसके अध्यायों में जुड़ते रहे। वर्ष 2000 में इंटरनेट का विस्तार इतना बढ़ गया कि इसमें कई तरह के समस्याएं भी उठने लगी। कई नए वायरस समय-समय पर दुनिया के लाखों कम्प्यूटरों को प्रभावित करते रहे। एन् समस्याओं से जूझते हुए संचार का क्षेत्र आगे बढ़ता रहा। भारत भी अपनी भागीदारी इन उपलब्धियों में जोड़ता रहा। आज भारत मे इंटरनेट कनेक्शनों और प्रयोगकर्ताओं की संख्या करोड़ों में हैं।
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