Violent and Evil Oraon People

Image
The Oraon or Uraon tribe is a small minority community that can be found in different parts of India and South Asia. While they are not indigenous to Jharkhand state or the eastern part of India, their ancestors used to speak a language called Kurukh, which belongs to the Dravidian language family group. Although a small minority still speak Kurukh, these primitive Oraon people have nothing to do with the Santhals, Mundas, Hos, and Bhumij of Jharkhand, who belong to the Austroasiatic Munda ethnic background and are the original inhabitants of East India, Mayurbhanj, and Keonjhar districts of Orissa.   Anthropologists, ethnologists, and linguists have claimed that these primitive Oraons used to live in the southern parts of India but then migrated to other parts of South Asia. Oraons are very different and distinct from Austroasiatic Munda people in terms of looks, behavior, nature, physical characteristics, etc.   I have seen and observed with my own eyes,   Oraons are very vio

स्त्री-शिक्षा का महत्व



भारत में निरक्षरता और स्त्री-शिक्षा की समस्या:-

भारत एक ऐसा देश है, जिसकी जड़ों में निरक्षरता, अज्ञान और कुशिक्षा का घुन शताब्दियों से लगा हुआ है। अल्पसंख्या में सही पुरुष-वर्ग येन-केन-प्रकारेण शिक्षा पाते रहे, लेकिन स्त्रियों को शिक्षा के अधिकार से पूर्णतः वंचित कर दिया गया। स्त्रियों में शिक्षा के प्रति ललक उत्पन्न करने तथा पुरुषों को उन्हें पढ़ाने-लिखाने के लिए प्रेरित करने में आय समाज का योगदान सराहनीय था। लेकिन, भारतीय पुरुष-वर्ग की मध्यकालीन मानसिकता अभी तक खत्म नहीं हुई। लड़कियों को शिक्षा देना वे व्यर्थ समझते थे। उनका विचार था कि पढ़ी-लिखी लड़कियों का आचरण भ्रष्ट हो जाता है। बेटी पराया धन होती है। उसे नौकरी करने की आवश्यकता नहीं है। उसे घर की चारदीवारी के अंदर रहना है। अतः पढ़-लिख कर क्या करेगी?


स्त्री-शिक्षा का महत्व:-

यह एक वास्तविकता है कि माँ की गोद ही शिशु की प्रथम पाठशाला होती है। माँ की गोद में शिशु जो कुछ सीखती है, जो संस्कार अर्जित करता है, वह उसका जन्म भर का साथी होता है। वही सीख और संस्कार भविष्य में उसके जीवन के दिशा-निर्देशक बनते हैं। यदि माँ अशिक्षित होगी, तो वह अपने बच्चों को सही सीख और संस्कार नहीं दे पायेगी।

यह स्वयंसिद्ध तथ्य है कि नारी और पुरुष, दोनों ही समाज के अभिन्न अंग होते हैं। इन्हीं दोनों की धुरी पर समाज का रथ चलता है। स्त्री के अशिक्षित रह जाने का अर्थ समाज या देश घसीट-घसीट कर चलता है। अतः स्वस्थ समाज के लिए निर्माण के लिए, देश की प्रगति के लिए नारी और पुरुष दोनों का सुशिक्षित होना जरूरी है।

भारत में नारी निरक्षरता के कुपरिणाम-

अशिक्षा के कारण स्त्रियां पूर्णतः पुरुषों के अधीन हो जाती है। समाज और देश की अनेक बुराइयों की जड़ नारियों का अशिक्षित होना है। अशिक्षित होने के कारण ही वे कुपोषित, शोषित, अंधविश्वासों से ग्रस्त और रूढ़ियों की दासी बनी हुई हैं। सुशिक्षित नारियां आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकती हैं। दहेज-दानव का अत्याचार बन्द हो सकता है। वे भी मताधिकार का उपयुक्त उपयोग कर सकती हैं। लोकतंत्र का प्रक्रिया में बराबर की सहभागिनी बन सकती हैं। सुशिक्षित नारियों की सचेतना देश को बहुत ऊपर उठा सकती है।


भारत में नारी शिक्षा की वर्तमान स्थिति-

वर्तमान समय में नारी-शिक्षा की स्थिति में अभूतपूर्व सुधार हुआ है। स्कूल-कॉलजों में उनकी संख्या बढ़ी है। वे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रही हैं। जीवन के कई क्षेत्रों में, वे सफलता के कीर्तिमान गढ़ चुकी हैं। वे डॉक्टर हैं, शिक्षिकाएँ हैं, इंजीनियर हैं ,वैज्ञानिक हैं आदि। वे सेना में हैं, पुलिस सेवा में हैं, प्रशासनिक पदाधिकारी हैं, संसद और विधान मण्डलों में हैं, वे मंत्री भी हैं और देश की राजनीति में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। फिलहाल उनके आगे बढ़ने पर कोई रोक नहीं है।

पर यह तस्वीर का एक पहलू है। तसवीर का दूसरा पहलू अभी तक बदनुमा है। ग्रामीण क्षेत्र की गरीब परिवार की औरतें मजदूरी करती हैं, गुलामी करती हैं। जरूरत देश की हर बालिका और स्त्री को सुशिक्षित करने की है। वे जब संपूर्णता सुशिक्षित बनेंगी, तभी वे देश और समाज की उन्नति में पुरुष के बराबर हिस्सा ले सकती हैं। 

Comments

Popular posts from this blog

Aaj ke neta | आज के नेता

Violent and Evil Oraon People

हमिंगबर्ड (Hummingbird) चरम सीमा का जीवन जीते हैं